इश्क में ग़ैरत-ए-जज़्बात ने रोने ना दिया - सुदर्शन फ़ाकिर

 इश्क में ग़ैरत-ए-जज़्बात ने रोने ना दिया वरना क्या बात थी किस बात ने रोने ना दिया आप कहते थे कि रोने से ना बदलेंगे नसीब उमर भर आप की इस बात...